वो मनवायेंगे तुमसे, उनकी हर वो बात
जो उन्हें स्थापित करेगी ,इस जगत में
वो समझायेंगे पहले पहल प्यार से, कि मान लो
वही है अन्तिम सत्य जो वो कहते आये हैं
वो भरमायेंगे ,अपने उन तर्कों के मायाजाल से
जो खत्म हो सकते हैं मानसिक स्तरों के एक झटके में,
फिर वो गढ़ेंगे नये झूठ, और दोहरायेंगे रोज उन्हें
तब तक, जब तक कि तुम उनका सत्य ना मान लो,
गर इतने पर भी, तुम उनके बताये सत्य को न देख पाये
फिर डरायेंगे वो तुम्हें रोज नये नये तरीकों से,
कि तुम पागल हो या फिर नाजायज औलाद किसी की
और अगर इतने पर भी तुम चुप ना हुये ,बोलते रहे
तो बन्द कर देंगे आवाज तुम्हारी, सदा के लिये
कोशिशें उनकी जारी रहेंगी तब तक कि
जब तक ,उनका सत्य ही सबका सत्य ना बन जाये !!
- रूपेश
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें