मैं इश्क हूं जाया नहीं जाऊंगा !
कयामत तलक तुझे याद आऊंगा !!
जब भी बीतेंगी गुरबतों में जिन्दगी !
फिर से मोहब्बत का पैगाम फहरा जाऊंगा !!
जब बंटेगी जिन्दगानियां फिरकापरस्ती में !
मैं मुल्क की मजहबी दीवारें गिराने आऊंगा !!
पुकारेगा लहू जब भी पुरजोर मेहनतकशों का
मैं अपना लाल रंग उस लहू में मिला जाऊंगा !!
जो चाहेगा बने रहे मुल्क, सबके रहने लायक
मैं हर उस शख्स को बावक्त याद आऊंगा !!
मैं इश्क हूं , जाया नहीं जाऊंगा
कयामत तलक, तुझे याद आऊंगा !!
- रूपेश
( भगतसिंह के लिये...उनके जन्मदिन पर... 28 सितम्बर )
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