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मैं इश्क हूं जाया नहीं जाऊंगा !!!

  मैं इश्क हूं जाया नहीं जाऊंगा ! कयामत तलक तुझे याद आऊंगा !! जब भी बीतेंगी गुरबतों में जिन्दगी ! फिर से मोहब्बत का पैगाम फहरा जाऊंगा !! जब बंटेगी जिन्दगानियां फिरकापरस्ती में ! मैं मुल्क की मजहबी दीवारें गिराने आऊंगा !! पुकारेगा लहू जब भी पुरजोर मेहनतकशों का मैं अपना लाल रंग उस लहू में मिला जाऊंगा !! जो चाहेगा बने रहे मुल्क, सबके रहने लायक मैं हर उस शख्स को बावक्त याद आऊंगा !! मैं इश्क हूं , जाया नहीं जाऊंगा  कयामत तलक, तुझे याद आऊंगा !! - रूपेश ( भगतसिंह के लिये...उनके जन्मदिन पर... 28 सितम्बर )

दोस्त रंग बदलते हैं !!

मेरी जगह खुद को रखकर, मेरे दर्दों को महसूस कर, मेरी ही तरीके से मेरे मसलों को, ये लोग कैसे हल करते हैं? क्योंकि दोस्त रंग बदलते हैं ! बचपन की बातों को जिन्दा रखकर, समझदारी होने पर भी नासमझ बनकर, अपनी दुनिया में खुद को खोकर भी, मेरी दुनिया में ये बने रहते हैं, क्योंकि दोस्त रंग बदलते हैं ! बचपने की उन लड़ाईयों में, लड़कपन की रूबाईयों में, जिन्दगी की तन्हाईयों में भी, मेरे साथ ही चले चलते हैं , क्योंकि दोस्त रंग बदलते हैं ! हां दोस्त रंग बदलते हैं !! - रूपेश

उनका सत्य- सबका सत्य

वो मनवायेंगे तुमसे, उनकी हर वो बात जो उन्हें स्थापित करेगी ,इस जगत में वो समझायेंगे पहले पहल प्यार से, कि मान लो  वही है अन्तिम सत्य जो वो कहते आये हैं वो भरमायेंगे ,अपने उन तर्कों के मायाजाल से जो खत्म हो सकते हैं मानसिक स्तरों के एक झटके में, फिर वो गढ़ेंगे नये झूठ, और दोहरायेंगे रोज उन्हें तब तक, जब तक कि तुम उनका सत्य ना मान लो, गर इतने पर भी, तुम उनके बताये सत्य को न देख पाये फिर डरायेंगे वो तुम्हें रोज नये नये तरीकों से, कि तुम पागल हो या फिर नाजायज औलाद किसी की और अगर इतने पर भी तुम चुप ना हुये ,बोलते रहे तो बन्द कर देंगे आवाज तुम्हारी, सदा के लिये कोशिशें उनकी जारी रहेंगी तब तक कि जब तक ,उनका सत्य ही सबका सत्य ना बन जाये !! - रूपेश

हर एक शख्स में तेरा चेहरा देखा है !

  हर एक शख्स में तेरा चेहरा देखा है ! मैंने चेहरों में तुझको बदलते देखा है !! यूं जानने का शौक तो दुनियां को हमें न था कभी कोई! तेरे जाने के बाद जहां भर को अपने अन्दर आते देखा है !! सुना था बुजुर्गों से मौसम ही बदलता है हर मौसम में पर ! तमीजदारों की तमीजों को भी जहालत में बदलते देखा है! मुसीबतों में भी जो साथ छोड़ ना पाते थे कभी ! हमने उन दोस्तों को भी दर वक्त बदलते देखा है ! सोचता हूं अब राब्ता ही ना रखूं इस दुनिया से कोई ! पर क्या करूं हर सुबह अपनी सोच बदलते देखा है !! हर इक शख्स में तेरा चेहरा देखा है ! मैंने चेहरों में तुझको बदलते देखा है !! - रूपेश