मेरी घासलेटी जिंदगी
कितनी मुश्किलों से पाया है मैंने तुझे
खोये हैं कई मनचाहे रंग ,
तब जा कर मिली है तू
घुले हैं तुझमे मेरे कई रंग ,
मेरे जूनून का लाल
तो प्यार का गुलाबी भी ,
गर दोस्ती का सफ़ेद
तब नफरतों का स्याह रंग भी ,
और हाँ मेरा एक और रंग
जो है पानी के रंग का ,
जिसमे रंगी है मेरी रूह
डरता हूँ मैं कभी कभी ,
कहीं ये भी तेरे ही रंग में
रंगकर घासलेटी न हो जाए ,
करता हूँ इल्तजा तुझसे
कम से कम मेरी रूह को ,
तो बख्श देना तू
ऐ मेरी घासलेटी जिंदगी !!!
- रूपेश
०९/०३ /२०१२
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