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गुरुवार, 8 मार्च 2012

माँ .......!!!

 बहुत ही कठिन होता है
माँ को शब्दों में बांधना ,
नहीं चलती यहाँ कभी 
कैसी भी शब्दों की साधना !

कैसे लिखूं ?
क्या लिखूं ?
क्या कहूँ?
क्या न कहूँ ?

ममता लिखूँ 
शिक्षा लिखूँ ,
पहला कदम 
पहली मुस्कान ,
पहला ही प्यार 
या पहली उड़ान ,
धरती लिख दूं
या क़ि आसमान
कोई बता दे मुझे
मेरी माँ क़ी पहचान

शब्दों का कभी ,
न था इतना अकाल
जितना है आज ,
जब कि मैं उसी का लाल
हाँ हूँ मैं भी कृतार्थ  ,
होगा यही सबका यथार्थ ,

है ये भी नहीं क़ि
नहीं कोई धरती पे ,
होगी इस माँ जैसी 
ऐ  दोस्त मेरी माँ ,
बिलकुल ही है 
तेरी माँ जैसी...!!!

                          रूपेश 
                      ०८ /०३ /२०१२ 

   महिला दिवस पर माँ को समर्पित.........

                सर्वाधिकार सुरक्षित 

1 टिप्पणी:

  1. बहुत ही कठिन होता है
    माँ को शब्दों में बांधना ,
    नहीं चलती यहाँ कभी
    कैसी भी शब्दों की साधना !

    है ये भी नहीं क़ि
    नहीं कोई धरती पे ,
    होगी इस माँ जैसी
    ऐ दोस्त मेरी माँ ,
    बिलकुल ही है
    तेरी माँ जैसी...!!!

    बहुत सुन्दर भाव

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