बहुत ही कठिन होता है
माँ को शब्दों में बांधना ,
नहीं चलती यहाँ कभी
कैसी भी शब्दों की साधना !
कैसे लिखूं ?
क्या लिखूं ?
क्या कहूँ?
क्या न कहूँ ?
ममता लिखूँ
शिक्षा लिखूँ ,
पहला कदम
पहली मुस्कान ,
पहला ही प्यार
या पहली उड़ान ,
धरती लिख दूं
या क़ि आसमान
कोई बता दे मुझे
मेरी माँ क़ी पहचान
शब्दों का कभी ,
न था इतना अकाल
जितना है आज ,
जब कि मैं उसी का लाल
हाँ हूँ मैं भी कृतार्थ ,
होगा यही सबका यथार्थ ,
है ये भी नहीं क़ि
नहीं कोई धरती पे ,
होगी इस माँ जैसी
ऐ दोस्त मेरी माँ ,
बिलकुल ही है
तेरी माँ जैसी...!!!
रूपेश
०८ /०३ /२०१२
महिला दिवस पर माँ को समर्पित.........
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बहुत ही कठिन होता है
जवाब देंहटाएंमाँ को शब्दों में बांधना ,
नहीं चलती यहाँ कभी
कैसी भी शब्दों की साधना !
है ये भी नहीं क़ि
नहीं कोई धरती पे ,
होगी इस माँ जैसी
ऐ दोस्त मेरी माँ ,
बिलकुल ही है
तेरी माँ जैसी...!!!
बहुत सुन्दर भाव