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शुक्रवार, 2 मार्च 2012

बस यही गलती हो जाती है ..... !!!

 खामोशियों से बातें  करता हूँ जब  ,
तुम्हारी सदा वहां से आती है ,
मुझको लगता है तुम हो यहाँ ,
बस यही गलती हो जाती है.....!

तू किस्मत में ही थी न मेरी ,
दुनिया भी मुझे ये समझाती  है ,
फिर भी सुनता हूँ क्यों तेरी ये सदा ? ,
जो गगन चीर  कर आती है !

अब भी बैठा हूँ लौ को लिए ,
दिल में जो ,ये फिक्र सताती है ,
तेरे जिक्र की शुरुआत ही क्यों 
मेरी रूह  ये खाक कर जाती है !

करना न अब मोहब्बत कभी ,
यही  सीख मुझे सिखलाती है ,
क्या करे गाफिल दिल भी जब ?
बस यही गलती हो जाती है  !!!

                  -  रूपेश 
                ०२/०३/२०१२ 

             सर्वाधिकार सुरक्षित 







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