मन तेरी उड़ान
कितनी असीम !
नापे है तू ,
क्षण में सागर
घूमे ब्रह्नांड
बन यायावर !
क्षण में व्याकुल
पल में शीतल ,
मन तू चंचल
मन तू अविकल !
संसार में सार ,
जीवन निःसार
ये देह , व्यापार ,
आत्मा ही प्यार !
सृष्टि अनादि ,
सम्बन्ध जरा
मित्रता आदि ,
ईश्वर है परा !
मन की उड़ान ..!!
अब तू ही थाम
मैं भी करता ,
तेरा ही गान !
मन की उड़ान .....!!!
- रूपेश...
०३/०३/२०१२
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