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शनिवार, 3 मार्च 2012

मन की उड़ान .....!!!

मन तेरी उड़ान 
कितनी असीम !

नापे  है तू ,
क्षण में सागर 
घूमे   ब्रह्नांड
बन यायावर !

क्षण में व्याकुल 
पल में शीतल ,
मन तू चंचल 
मन तू अविकल !

संसार में सार ,
जीवन निःसार 
ये देह , व्यापार ,
आत्मा ही प्यार !

सृष्टि  अनादि ,
सम्बन्ध जरा
मित्रता आदि ,
ईश्वर  है परा !

मन की उड़ान ..!!
अब तू ही थाम
मैं भी करता ,
तेरा ही गान !

मन की उड़ान .....!!!

         - रूपेश...
        ०३/०३/२०१२ 

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