ज़रीफ़ बने रहना ,
यूँ इतना आसाँ भी नहीं
करता हूँ बड़ी मेहनत ,
उदासियों को हटा आता हूँ
तेरे सामने गोया कि ,
खुशमिजाजी मेरे रग रग में बसी है
फिर तुझे भी लगता होगा ,
कि मौजां ही रखता हूँ ,
मैं अपने गुलशन में
और बहार ऐ चमन जिंदगी में,
पर कभी झाँक के तो देख ,
मेरी तन्हाइयों में ,
तू पायेगा वहां
एक रोता दिल ,
दो टूटे ख्वाब ,
और
और एक उदास जिंदगी ,
हाँ ज़रीफ़ बना रहता हूँ मैं
तेरे सामने....!!!
रूपेश
०२/०३/२०१२
ज़रीफ़ - खुशमिजाज़
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