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शुक्रवार, 2 मार्च 2012

हाँ ज़रीफ़ बना रहता हूँ मैं.......!!!

 ज़रीफ़ बने रहना ,
यूँ इतना आसाँ भी नहीं 
करता हूँ बड़ी मेहनत ,
उदासियों को हटा आता हूँ
तेरे सामने गोया कि ,
खुशमिजाजी मेरे रग रग में बसी है
फिर तुझे भी लगता होगा ,
कि मौजां ही रखता हूँ ,
मैं अपने गुलशन में
और बहार ऐ चमन जिंदगी में,
पर कभी झाँक के तो देख ,
मेरी तन्हाइयों में ,
तू पायेगा वहां
एक रोता  दिल ,
दो टूटे ख्वाब ,
और 
और एक उदास जिंदगी ,
हाँ ज़रीफ़ बना रहता हूँ मैं
तेरे सामने....!!!

                  रूपेश
           ०२/०३/२०१२ 

          ज़रीफ़ - खुशमिजाज़  

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