हे राम धरा पर आ जाओ ,
मानव को धृति बता जाओ !
नैराश्य धर्म का मूल नहीं ,
ये पाठ पुनः सिखला जाओ !!
चले मानवता प्रगति पथ पर ,
तुम युक्ति वही दिखा जाओ !
मानव अहंकार दर्प में चूर खड़ा ,
ये दर्प दमन ही कर जाओ !!
मिलते हैं रावण भी इस कलि में ,
तुम इनकी बलि चढ़ा जाओ !
अहिल्याओं की अब सुन लो पुकार ,
तुम इनको मुक्ति दिला जाओ !!
मारूति जैसा भक्त न मिलेगा यहाँ ,
तुम लखन बिना ही आ जाओ !
मानवता विस्मृत सोयी पड़ी ,
तुम ह्रदय अलख जगा जाओ !
हे राम पुनः धरा पर आ जाओ ,
मानव को धृति सिखा जाओ !!
रूपेश
०१/०३/२०१२
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