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गुरुवार, 1 मार्च 2012

ये प्रेम है या प्रतिछाया इसकी .......!!!

किंचित विलग निश्चित तटस्थ 
है ह्रदय में भरा भाव यही ,
ये प्रेम है या प्रतिछाया  इसकी ,
मेरी शंका का आधार यही !
यदि प्रेम है ये राधा का ,
तो इसमे है त्याग वही !
यदि मीरा भाव भरा इसमे ,
तब आस्था का संसार यही !
गौरी जैसा तप हो इसमे ,
हो सती सा संताप वही !
राम समान द्रढ़ता  इसमे ,
तब सीता सा विश्वास यही !
है प्रेम के रूप कई जग में ,
इनमे से ये है रूप कोई !
ये प्रेम है या प्रतिछाया इसकी ,
मेरी शंका का आधार यही !!

                    रूपेश 
                ०१/०३/२०१२ 

              सर्वाधिकार सुरक्षित 



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