किंचित विलग निश्चित तटस्थ
है ह्रदय में भरा भाव यही ,
ये प्रेम है या प्रतिछाया इसकी ,
मेरी शंका का आधार यही !
यदि प्रेम है ये राधा का ,
तो इसमे है त्याग वही !
यदि मीरा भाव भरा इसमे ,
तब आस्था का संसार यही !
गौरी जैसा तप हो इसमे ,
हो सती सा संताप वही !
राम समान द्रढ़ता इसमे ,
तब सीता सा विश्वास यही !
है प्रेम के रूप कई जग में ,
इनमे से ये है रूप कोई !
ये प्रेम है या प्रतिछाया इसकी ,
मेरी शंका का आधार यही !!
रूपेश
०१/०३/२०१२
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