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बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

एक दिन देखा मैंने उसे....!!!

 देखा मैंने उसे अपने घर में
 एक छोटा सा घर बनाते
 और केवल मेरी इस दुनिया में
 अपनी छोटी दुनिया बसाते
 वो चाहता था मेरी दुनिया में ,
 अपने लिए एक छोटी सी जगह
 और उसके इस अबोले अनुरोध को ,
 मन की गहराई से स्वीकारा मैंने
 मैं रोज़ देखता रहा ,
 उसकी छोटी सी दुनिया को
 अपनी नज़रों से बसते हुए ,
 और मानता भी रहा
 खुद को उसका ही खुदा ,
 उसकी छोटी जरूरतों को पूरा कर ,
 ये तमगा अपना लिया मैंने
 उसकी दुनिया के फैलाव ने
 मेरे खुदा होने के गुमान को
 किया और भी ऊँचा
 उसके घर में गूंजती किलकारियों से
 मेरा खुदाया बढता गया
 और उसकी पूरी दुनिया को
 अपना ही बनाया समझा मैंने
 फिर समय ने करवट ली
 और समय के काले पंजों ने उजाड़ा
 उसकी दुनिया के सबसे हसीन हिस्से को
 और मैं जो था उसका खुदा
 देखता ही रह गया इसीलिए
 शायद वह उड़ चला
 मेरे घर से कहीं दूर
 एक नए खुदा की तलाश में
 है अपने खुदा से दुआ मेरी
 पा ले वो भी एक दिन अपना खुदा
 एक दिन देखा मैंने उसे
 मेरे घर में अपना घर बनाते....!!!

                     रूपेश
              २९/०२/२०१२


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