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सोमवार, 30 जनवरी 2012

गर तुमने साथ दिया होता मेरा !!!!


पूनम की रात को जगमगाते देख
अक्सर ख्याल आता है मुझे ,
गर तुमने तब साथ दिया होता मेरा
जीत लाता मैं इस जहाँ को तुम्हारे लिए ,
बनाता तुम्हारे ख़्वाबों के महल को हकीकत ,
जिसमे चाँद बिखेरता अपनी धवलता को ,
और तारे जगमगाते कुछ कुछ जुगनुओं की तरह
अरे हाँ तुम्हारे कमरे के बाहर के बगीचे में
लगे हुए जैसमीन की खुशबु
बनाती तुम्हारे मन को उसके जैसी
और मह्कातीं तुम मेरे जहाँ को
उसी के जैसी खुशबू में
पर तुम्हें कहाँ रास आया
कि मैं मानू तुम्हारे सपनो को अपना
और तुम मेरे जहाँ को अपने लिए
इसीलिए दुनियावी रिश्तों के बंधन को
मेरे बंधन से ज्यादा मज़बूत माना तुमने
और छोड़ दिया मुझे इसी दुनिया में
हर रोज यही सोचने के लिए
कि गर तुमने साथ दिया होता मेरा !!!!

रुपेश ......


सर्वाधिकार सुरक्षित
३०/०१/२०१२

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