तुम्हारे बाजार की बातें
क्यों नहीं समझ पाता मैं?
जबकि हर बार लाते हो तुम
एक नया फलसफा मुझे समझाने का ,
कुछ इस तरह गोया सब साइंस ही है
ख़ास तौर से बाज़ार का वो साइंस
जो तुम समझाते हो मुझे कि
प्रक्टिकली बाज़ार है तो इल्यूज़न
लेकिन एक्जिस्ट करता है ,
उस सर्वव्यापी ईश्वर की तरह
जिसकी सत्ता हम विज़ुअलाइज़ तो नहीं कर सकते
पर फील जरूर कर सकते हैं
सो तुम्हारे आर्ग्यूमेंट खड़ा कर देते हैं
तुम्हारे बाज़ार को ईश्वर के बराबर
और मैं तुम्हारे लिए बन कर रह जाता हूँ
उस एथीस्ट की तरह जिसकी सत्ता को
ईश्वर के वो फॉलोअर भी नहीं स्वीकार पाते
जो सब में ईश्वर को ही देखते हैं ..!!!
- रूपेश