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मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

महंगाई ........किसके लिए है ?

नमस्कार ,
आज आपसे एक बात share करने का मन हुआ , इसीलिए लिख रहा हूँ | अभी कुछ दिनों पहले मैं EAST U.P. के नेपाल बोर्डर से लगे हुए बस्ती जिले में गया था | जहाँ हम गए थे वह Interior का एक गाँव था, जहाँ हमारे एक दोस्त का घर पड़ता है| वहीँ हम खड़े थे की दो ५-६ साल ले बच्चे आये और हमें देखने लगे , मेरे दोस्त ने उनकी हालत को देख कर दो रूपये दे दिए | मैंने पूछा की क्या करोगे इन दो रुपयों का? तो एक बोला की मिठाई खायेंगे |
अब एक दूसरी घटना U.P की राजधानी .Lucknow सुनिए, दीपावली के अवसर पर यहाँ के एक बड़े मिठाई वाले ने Declare किया की इस बार उसकी मिठाइयों में 42,0000 RS और 32,000 Rs/ Kg वाली मिठाइयाँ भी होंगी |
अब अगर इन दो बातों को जोड़ें तो मुझे लगा की कौन सी मिठाई ज्यादा मीठी होगी ? उन दो बच्चों की या यहाँ के धनपतियों की ? ये तो आप के भी सोचने का भी मुद्दा है , अगर आपके पास Time हो तो ...मेरा तो यही सोचना है की जब इतनी महँगी मिठाई कोई खरीदता है तो क्या उसके Pan Card का No. नोट नहीं होना चाहिए की आखिर इतना धन आया कहाँ से ? अगर गहरे में जाएँ तो हम पायेंगे की ये ४२,००० उन २ रुपयों को जोड़कर ही बने हैं , मतलब उन बच्चों की मिठाई भी ये खा रहे हैं | इसका सीधा मतलब यही है की उनकी खुशियाँ ये लोग ही ले रहे हैं ,तो हमें इसके खिलाफ कुछ सोचना नहीं चाहिए ? सोचने को ही कह रहा हूँ आपसे , अभी कुछ करने के लिए नहीं कह रहा हूँ , क्योंकि सोचने की भी फुर्सत हम लोगों के पास नहीं है..........खैर.. .......
मेरा आपको बताने का Purpose यही है की अपनी व्यस्त Life में हमें दूसरों के बारे में सोचने का मौका कम ही मिलता है , अगर कभी फुर्सत मिले तो सोचियेगा जरूर ...........
तब तक के लिए ...........नमस्कार ........