नमस्कार , आज आपसे एक बात share करने का मन हुआ , इसीलिए लिख रहा हूँ | अभी कुछ दिनों पहले मैं EAST U.P. के नेपाल बोर्डर से लगे हुए बस्ती जिले में गया था | जहाँ हम गए थे वह Interior का एक गाँव था, जहाँ हमारे एक दोस्त का घर पड़ता है| वहीँ हम खड़े थे की दो ५-६ साल ले बच्चे आये और हमें देखने लगे , मेरे दोस्त ने उनकी हालत को देख कर दो रूपये दे दिए | मैंने पूछा की क्या करोगे इन दो रुपयों का? तो एक बोला की मिठाई खायेंगे | अब एक दूसरी घटना U.P की राजधानी .Lucknow सुनिए, दीपावली के अवसर पर यहाँ के एक बड़े मिठाई वाले ने Declare किया की इस बार उसकी मिठाइयों में 42,0000 RS और 32,000 Rs/ Kg वाली मिठाइयाँ भी होंगी | अब अगर इन दो बातों को जोड़ें तो मुझे लगा की कौन सी मिठाई ज्यादा मीठी होगी ? उन दो बच्चों की या यहाँ के धनपतियों की ? ये तो आप के भी सोचने का भी मुद्दा है , अगर आपके पास Time हो तो ...मेरा तो यही सोचना है की जब इतनी महँगी मिठाई कोई खरीदता है तो क्या उसके Pan Card का No. नोट नहीं होना चाहिए की आखिर इतना धन आया कहाँ से ? अगर गहरे में जाएँ तो हम पाय...
मेरे जीवन के इस छोटे से सफ़र में अब तक जो भी पड़ाव आये हैं ,,,,,,,उन्हीं से मिले अनुभवों को लिखने का प्रयास मैं कर रहा हूँ........अनुभव स्वयं में अच्छे या बुरे नहीं होते.....ये तो हमारी अपेक्षाएं हैं जो उन्हें अच्छा या बुरा सिद्ध कराती हैं......एवं अपेक्षाओं के पैमाने व्यक्तित्वों के अनुसार बदलते रहते हैं.......... अतः निश्चित रूप से मेरे अनुभव मेरे व्यक्तित्व के दर्पण होंगे.....!!! ..........रूपेश .